हरियाणा सरकार ने किसानों से इस बार 81 लाख टन गेहूं खरीदनें का लक्ष्य रखा है, जबकि राज्य में इस बार 125 लाख टन गेहूं की पैदावार होने का अनुमान है.
हरियाणा (Haryana) सरकार ने प्रदेश में 1 अप्रैल यानी आज से गेहूं (Wheat) की सरकारी खरीद शुरू कर दी है. किसान आंदोलन (Farmers Agitation) के चलते प्रदेश सरकार इस साल फसल खरीदने को लेकर काफी गंभीर दिख रही है. सरकार ने पहले ही दिन प्रदेश के 6402 किसानों के मोबाइल पर मैसेज भेजकर फसल बेचने के लिए बुलाया है. इस बार प्रदेश सरकार के मुताबिक 63.47 लाख एकड़ में गेहूं की फसल की बुवाई हुई है और 125 लाख टन उत्पादन का अनुमान है. सरकार ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि अगर 48 घंटे में किसान के अकाउंट में पैसा नहीं पहुंचता है तो 72 घंटे बाद से 9% ब्याज के साथ दिया जाएगा.
प्रदेश सरकार ने किसानों से 81 लाख टन गेंहू खरीदने का लक्ष्य रखा है. बता दें पिछली बार 77 लाख टन गेंहू की खरीद हुई थी. बता दें कि इस बार फसल का भुगतान सीधे किसानों के खाते में जाएगा. प्रदेश के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने बताया कि इस बारे से अगर 48 घंटे में किसानों की फसल का पेमेंट नहीं आया तो सरकार 72 घंटे बाद कुल राशि पर 9% ब्याज भी देगी.
फसल के रजिस्ट्रेशन से पोर्टल की जानकारी
हरियाणा सरकार ने किसानों के लिए ‘मेरी फसल, मेरा ब्योरा’ पोर्टल (https://fasal.haryana.gov.in/) पर रजिस्ट्रेशन शुरू किया हुआ है. मंडी अधिकारी आपकी फसल बिक्री के लिए दिन और समय तय करेंगे. वहीं जो किसान सरकार के पोर्टल में रजिस्ट्रेशन नहीं करा पाए हैं, उनके लिए 5 और 6 अप्रैल को पोर्टल एक बार फिर खोला जाएगा. अगर किसी दूसरे प्रदेश में फसल बोई है और हरियाणा में बेचना चाहते हैं तो जमीन की वेरिफिकेशन कराना अनिवार्य है.
फसल बिक्री के लिए प्रशासन मैसेज भेजेग
प्रदेश सरकार ने किसानों की फसल को मंडी में लाने के लिए ‘मेरी फसल मेरा ब्योरा’ पोर्टल द्वारा दर्ज मोबाइल नंबरो पर मैसेज भेजा गया है. जिसमें मंडी में फसल लाने के लिए दिन और समय दिया गया होगा. मंडी अधिकारियों के मुताबिक जो तय समय पर फसल लेकर मंडी पहुंच जाएगा, उनकी फसल खरीद ली जाएगी, और जो नहीं पहुंच पाएंगे उनका अगले हफ्तें में फिर नंबर आएगा.
गेट पर, फिर बोरी में भरने के बाद भी तौल होगी
किसान अपनी फसल को लेकर मंडी में पहुंचने पर गेट पर ही फसल की तौल की जाएगी. इसके बाद फसल को बोरी में भरते समय भी तौल की जाएगा. अधिकारियों ने फसल को भरते समय की गई तौल को सही माना जाएगा. इसके बाद आढ़ती जो फॉर्म देगा उसमें रेट, वजन और कुल राशि दर्ज होगी, इसी के आधार पर कुल भुगतान तय होगा.